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Aarti Shri Adinath Ji (Chandankhedi) / आरती श्री आदिनाथ जी (चादंखेड़ी)

जगमग जगमग आरती कीजै, आदिश्वर भगवान की ।
प्रथम देव अवतारी प्यारे, तीर्थंकर गुणवान की । जगमग०

अवधपुरी में जन्मे स्वामी, राजकुंवर वो प्यारे थे,
मरु माता बलिहार हुई, जगती के तुम उजियारे थे,
द्वार द्वार बजी बधाई, जय हो दयानिधान की ।। जगमग०

बड़े हुए तुम राजा बन गये, अवधपुरी हरषाई थी, २
भरत बाहुबली सुत मतवारे मंगल बेला आई ; थी, २
करें सभी मिल जय जयकारे, भारत पूत महान की । जगमग०

नश्वरता को देख प्रभुजी, तुमने दीक्षा धारी थी, २
देख तपस्या नाथ तुम्हारी, यह धरती बलिहारी थी ।
प्रथम देव तीर्थंकर की जय, महाबली बलवान की ।। जगमग०

बारापाटी में तुम प्रकटे, चादंखेड़ी मन भाई है,
जगह जगह के आवे यात्री, चरणन शीश झुकाई है ।
फैल रही जगती में नमजी महिमा उसके ध्यान की ।। जगमग०