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Aarti Shri Ajitnath Ji / आरती श्री अजितनाथ जी

जय श्री अजित प्रभु, स्वामी जय श्री अजित प्रभु ।|
कष्ट निवारक जिनवर, तारनहार प्रभु ॥

पिता तुम्हारे जितशत्रू और, माँ विजया रानी । स्वामी माँ ०|
माघ शुक्ल दशमी को जन्मे, त्रिभुवन के स्वामी|
स्वामी जय श्री अजित०

उल्कापात देख कर प्रभु जी, धार वैराग्य लिया । स्वामी धार०|
गिरी सम्मेद शिखर पर, प्रभु ने पद निर्वाण लिया ॥|
स्वामी जय श्री अजित०

यमुना नदी के तीर बटेश्वर, अतिशय अति भारी । स्वामी अतिशय०|
दिव्य शक्ति से आई प्रतिमा, दर्शन सुखकारी ॥|
स्वामी जय श्री अजित०

प्रतिमा खंडित करने को जब, शत्रु प्रहार किया । स्वामी शत्रु०|
बही ढूध की धार प्रभु ने, अतिशय दिखलाया ॥|
स्वामी जय श्री अजित०

बड़ी ही मन भावन हैं प्रतिमा, अजित जिनेश्वर की । स्वामी अजित०|
मंवांचित फल पाया जाता, दर्शन करे जो भी ॥|
स्वामी जय श्री अजित०

जगमग दीप जलाओ सब मिल, प्रभु के चरनन में । स्वामी प्रभु०|
पाप कटेंगे जनम जनम के, मुक्ति मिले क्षण में ॥|
स्वामी जय श्री अजित०