चाँदनपुर के महावीर! हमारी पीर हरो | टेक |
जयपुर राज्य गाँव चाँदनपुर, तहाँ बनो उन्नत जिनमंदिर |
निकट नदी-गम्भीर, हमारी पीर हरो |
चाँदनपुर के महावीर हमारी पीर हरो ||१||
पूरब बात चली यों आवे, एक गाय चरने को जावे |
झर जाय उसका क्षीर, हमारी पीर हरो |
चाँदनपुर के महावीर हमारी पीर हरो ||२||
एक दिवस मालिक संग आयो, देख गाय टीलो खुदवायो |
खोदत भयो अधीर, हमारी पीर हरो |
चाँदनपुर के महावीर हमारी पीर हरो ||३||
रैन माँहि तब सुपनो दीनों, धीरे-धीरे खोद जमीनो |
इसमें है तस्वीर, हमारी पीर हरो |
चाँदनपुर के महावीर हमारी पीर हरो ||४||
प्रात होत फिर भूमि खुदाई, वीर जिनेश्वर प्रतिमा पाई |
भई इकट्ठी भीड़, हमारी पीर हरो |
चाँदनपुर के महावीर हमारी पीर हरो ||५||
तब ही से हुआ मेला जारी, होय भीड़ हर साल करारी |
चैत मास आखीर, हमारी पीर हरो |
चाँदनपुर के महावीर हमारी पीर हरो ||६||
लाखों मीना गूजर आवें, नाचें गावें गीत सुनावें |
जय बोलें महावीर, हमारी पीर हरो |
चाँदनपुर के महावीर हमारी पीर हरो ||७||
जुडें हजारों जैनी भाई, पूजन पाठ करें सुखदाई |
मन वच तन धरि धीर, हमारी पीर हरो |
चाँदनपुर के महावीर हमारी पीर हरो ||८||
छत्र चमर सिंहासन लावें, भरि भरि घृत के दीप जलावें |
बोलें जै गम्भीर, हमारी पीर हरो |
चाँदनपुर के महावीर हमारी पीर हरो ||९||
जो कोई सुमरे नाम तुम्हारा, धन संतान बढ़े व्यौपारा |
होय निरोग शरीर, हमारी पीर हरो |
चाँदनपुर के महावीर हमारी पीर हरो ||१०||
‘मक्खन’ शरण तुम्हारी आयो, पुण्य योग से दर्शन पायो |
खुली आज तकदीर, हमारी पीर हरो |
चाँदनपुर के महावीर! हमारी पीर हरो ||११||