यह अक्सर मंदिर के इतिहास को जानने का सबसे प्रभावी तरीका होता है। मंदिर प्रबंधन समिति या पुजारियों के पास पीढ़ियों से चली आ रही जानकारी या प्रलेखित रिकॉर्ड हो सकते हैं। फ़ोन नंबर या ईमेल जैसी संपर्क जानकारी स्थानीय निर्देशिकाओं या जस्टडायल जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध हो सकती है।
अभिलेखागार और ऐतिहासिक समाज: इन संस्थाओं ने हबीबगंज में मंदिर या जैन समुदाय की स्थापना का दस्तावेजीकरण किया होगा। उनके पास ऐतिहासिक रिकॉर्ड, तस्वीरें या क्षेत्र के विकास के विवरण हो सकते हैं।
जैन समुदाय के प्रकाशन या वेबसाइट: स्थानीय जैन संगठनों के पास अक्सर प्रकाशन या वेबसाइट होती हैं जो उनके पूजा स्थलों के इतिहास और महत्व का दस्तावेजीकरण करती हैं। उनके पास श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर के बारे में जानकारी हो सकती है।
प्रत्यक्ष इतिहास न होते हुए भी, मंदिर की वेबसाइट (यदि मौजूद है) या स्थानीय समाचार लेख संकेत दे सकते हैं।
JainMandir.org में वर्तमान मंदिर के बगल में "त्रिकाल चौबीसी" और "सहस्र कुट जिनालय" के निर्माण का उल्लेख है इससे यह संभावना बनती है कि मुख्य मंदिर की संरचना का इतिहास शायद इससे भी पुराना हो।
मंदिर की संपर्क जानकारी के लिए ऑनलाइन निर्देशिकाओं या जस्टडायल जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर खोजें।
भोपाल स्थित अभिलेखागार या ऐतिहासिक समाजों की तलाश करें।
स्थानीय जैन समुदाय संगठनों या प्रकाशनों के लिए ऑनलाइन खोजें और देखें कि क्या उनके पास मंदिर के बारे में जानकारी है।
इन तरीकों को मिलाकर, आप श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर के इतिहास को उजागर करने में सक्षम हो सकते हैं। याद रखें, भले ही स्थापना की सटीक तारीख न मिले, आप स्थानीय जैन समुदाय में मंदिर की भूमिका और उसके भक्तों के लिए इसके महत्व के बारे में जान सकते हैं।