स्थानीय दिगंबर बड़ा जैन मंदिर जैन कला संस्कृति एवं धर्म दर्शन का अद्भुत गौरवशाली सुंदर केंद्र है।
राजस्थान के लाडनूं में स्थित है। वैसे तो इस नगर में कई प्राचीन पत्थर मौजूद हैं, लेकिन इनमें से जैन कला और संस्कृति की वास्तुकला और महत्व का श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर अतिशय क्षेत्र का मुख्य पत्थर है।यह मंदिर देश के प्रमुख जैन दर्शनीय स्थलों में से एक है, इसकी श्रेष्ठता इसलिए और अधिक बढ़ गई है कि इसमें केवल मूर्तियाँ, ग्रंथ, स्तम्भ ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण जिनालय ही भूगर्भ से प्राप्त हुआ है। इसकी व्यापकता और प्राचीनता नष्ट न हो इसलिए मार्ग स्थल से 11 फुट नीचे तालगृह स्थित मंदिर में कोई परिवर्तन नहीं किया गया।
भगवान शांतिनाथ और आदिनाथ विराजितमंदिर में पूजन करने वाले शरद जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि गर्भगृह में 16वे तीर्थकर भगवान शांतिनाथ की दूधिया सफेद संगमरमर की मनोरम प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में क्रीड़ा निर्मित तोरण द्वार के बीच सुशोभित है। प्रतिमा का शीर्षक 64×70 और तोरण पर लिखित लेख संवत 1136 के अनुसार है। इस एसोसिएशन 24 तीर्थंकरों में युक्त तोरणों में अलग-अलग साइड 23-23 प्रतिमाएं बनी हुई हैं। इसी प्रकार जैन धर्म के दूसरे तीर्थंकर अजितनाथ की 79×60 शिखर की प्रतिमा संवत 1209 में विराजित हैं। तोरण के नीचे के हिस्सों में शासन यक्षी और देवियों की प्रतिमा दिखाई देती है।
तालगृह और शिखर का है अद्भुत दृश्यराज पाटनी के अनुसार तालगृह स्थित मंदिर में विभिन्न दुकानों से विभूषित स्तंभों से युक्त बरामदे नुमा हैं। तालघर मंदिर की छत और वेदियों के ऊपरी भव्य संग्रहालय में संपूर्ण मंदिर का दर्शन होता है। मंदिर के एक-एक स्तम्भ की मौनी मस्जिद भी मुख बोलती आकर्षण का केन्द्र दर्शनीय हैं।
इस भूगर्भिक मंदिर के चार कलापूर्ण प्रवेश-द्वार बने हुए हैं। पत्थर के स्तम्भों पर देव और देवियों की साज-सज्जा के स्थान पर बेलबूटे भी बने हैं। इन खंभों पर कई लेख भी अंकित हैं। लेकिन इनमें से एक ब्राह्मी लिपि और संस्कृत भाषा का माना जा रहा है। भूगर्भ से मिट्टी के घड़े में विभिन्न प्राचीन पूजन पात्र भी प्राप्त हुए हैं जो वर्तमान में अवशेष के रूप में उपलब्ध हैं। इसी प्रकार इस मंदिर का यांत्रिक युक्त शास्त्र गगनचुंबी शिखर इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा हुआ नजर आता है। स्वर्ण कलश युक्त और चारों ओर शेर का प्रतीक युक्त इस शिखर की प्रतिष्ठा संवत 1987 में हुई थी। मंत्री धर्मचंद गोधा ने बताया कि विभिन्न स्थानों पर काफी संख्या में यात्राएं हुई हैं।
विश्वप्रसिद्ध वाग्देवी की मनोरम प्रतिमाजैन सरस्वती जिसे वाग्देवी के नाम से जाना जाता है, 12वीं शताब्दी में खड्गासन की मूर्ति के रूप में जाना जाता है। प्राप्त हुई जो एक पत्रिका और दूसरी दिल्ली के संग्रहालय में है। वहीं तीसरी प्रतिमा का यह गौरव लाडनूं को प्राप्त है। हीरालाल जैन ने जानकारी दी कि इसके अलावा यह सेल विधा देवियां, आराध्या देवी, भगवान ऋषभदेव, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, चौबीसी जिन प्रतिमाएं भी हैं, जिनमें जीव भी शामिल हैं, जिनमें विभिन्न पाषाण और शंकराचार्य से बनी हुई हैं।
स्वर्णकारी चित्रकारी का सुंदर प्रयोगउपप्रधान अशोक सेठी ने बताया कि सम्पूर्ण जिनालय परिसर में जैन धर्म दर्शन के सिद्धांतों पर आधारित मनमोहक स्वर्णकारी एवं पुरालेखात्मक मन को देखते ही मदमस्त कर देते हैं। इंद्र द्वारा पुष्प वर्षा, माता के 16 स्वप्न, जन्म अभिषेक कल्याणक आदि दृश्य ह्रदय को नवीनीकृत कर देते हैं।वहीं चांद कपूर सेठी का मानना है कि जनश्रुति के भारत में सर्वाधिक पंच कल्याणक प्रतिष्ठा होने का गौरव सम्मेद शिखर को और दूसरा स्थान लाडनूं नगर को प्राप्त है जो इस तीर्थ की गरिमा को दर्शाता है। इस मंदिर में सोने और चांदी के भव्य रथ भी मौजूद हैं जो कि महावीर जयंती जैसे अवसरों पर निकलते हैं।
पता | श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर, बड़ा बास, लाडनूं, जिला-नागौर (राजस्थान) |
संपर्क | 08888020232 |
ईमेल | indiaijain@gmail.com |
रहने की / आवास सुविधा | धर्मशाला |
राज्य | राजस्थान |
निकटतम रेलवे स्टेशन | लाडनूं रेलवे स्टेशन |
निकटतम हवाई अड्डा | जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा |
दिल्ली से मंदिर की दूरी सड़क द्वारा | 329 Km |
आगरा से मंदिर की दूरी सड़क द्वारा | 444 Km |
जयपुर से मंदिर की दूरी सड़क द्वारा | 205 Km |
Address | Shri Digambar Jain Bada Mandir, Bada Bas, Ladnun, District - Nagaur (Rajasthan) |
Contact No | 08888020232 |
indiaijain@gmail.com | |
Accommodation/accommodation/facility | Hospice |
State | Rajasthan |
Nearest Railway Station | Ladnun Railway Station |
Nearest Airport | Jaipur International Airport |
Distance of Temple from Delhi by road | 329 Km |
Distance of Temple from Agra by road | 444 Km |
Distance of Temple from Jaipur by road | 205 Km |