राजस्थान के संयुक्त राज्य अमेरिका के नासिक जिले में अरावली पर्वत के निकट नैनवां तहसील में ग्राम बांसी स्थित है।
ग्राम बांसी का प्राचीन नाम बंशीनगर बताया गया है जिसका अपभ्रंशित नाम बांसी हुआ।
1400 घरो की आबादी 5000 के आसपास की आबादी वाला गाँव नैनवां तहशील के आदर्श शहर के रूप में जाना जाता है जहाँ शिक्षा, स्वास्थ्य, उपदेशक, उपदेशक की व्यवस्था है। प्राकृतिक रूप से भी यह ग्राम सौन्दर्य प्राप्त होता है।
यहां से 2कि. मी. डुगारी कॉलेज में बोथर्स ग्रामो को एक दूसरे से मिला हुआ देखा जाता है। दोनों गांव संयुक्त रूप से जाने जाते हैं। इसी सन्दर्भ में प्राचीन लोकोक्ति प्रसिद्ध है -
चाल सखी तनै शहर दिखाऊ खण्ड खेदड़ में बांसी डुगारी
विकल्प ,बाद, बहुत निपजै छ हल्दी ख़ुत के ज्यो केसर की क्यारी
नागा, सागर, बाग, बगीचा केवलन की छवि न्यारी
चल सखी तनै शहर शो खंड खरेड में बांसी डुगारी।
सामान्यतः यह स्पष्ट होता है कि प्रकृति और निर्माण से यह क्षेत्र सरोबार हो रहा है।
इसी ग्राम बांस में अति प्राचीन दो दिगंबर जैन मंदिर है, एक श्री अजितनाथ जिनालय और दूसरा श्री सुपार्श्वनाथ जिन, जो कि बड़े मंदिर और छोटे मंदिर के नाम से जाने जाते हैं।
श्री अजितनाथ जिनालय का निर्माण प्राचीन काल में मल्लाशाह द्वारा किया गया था। मल्लाशाह द्वारा निर्मित 7 जिनालय में एक बांसी ग्राम का प्राचीन अजितनाथ जिनालय भी था जो काफी जीर्ण हो जाने से उसकी जगह पर नवीनतम भव्य जिनालय स्थापित है जो जल्द ही पूरे भव्यता को प्राप्त करता है। मूलनायक अजितनाथ भगवान की प्रतिमा अतिप्राचीन एवं अतिशय युक्त है। यह प्रतिमा भूगर्भ से गांव के बाहर बांदी खाली के किनारे से प्राप्त हुई ऐसी प्राचीन प्रतिमाएं हैं प्रतिमा 1200ई स्वी अर्थात 800 वर्ष पुरानी प्रतिमा अंकित हो गई है इसकी प्रतिष्ठा भी उस समय यहां गद्दीनशीन भट्टार्क जी के सानिध्य में सम्पन हुई थी उस समय भोजन सामग्री में (मालपुआ) में एक अज्ञात व्यक्ति गया था, लेकिन ज्यो ही उस समय भट्टारक जी के द्वारा नमोकार मंत्र का जाप किया गया था, स्वयंमेव अज्ञात हो गया था।
बड़े मंदिर जी में पांच वेदियां हैं कुल 57 प्रतिमाएं हैं। मूलनायक अजितनाथ भगवान की वेदी में कुल 13 मूर्तियाँ हैं। चारो वेदियों में से दो में पार्श्वनाथ जी, एक में मुनिसुव्रतनाथ जी और एक में चंद्रप्रभु मूलनायक हैं। शासन देवी देवता के रूप में प्राचीन क्षेत्रपाल बाबा और पद्मावती देवी विराजमान हैं। मंदिर जी में प्रतिदिन नित्य अभिषेक, पूजन व शाम को आरती होती है।
सन 2010 में जगत पूज्य गुरुदेव 108 श्री विद्यासागर जी के परम प्रभावक शिष्य निर्यापक मुनि पुंगव 108 श्री सुधासागर महामुनिराज जी की प्रेरणा से शांतिधारा महाराज के माध्यम से जारी है, जिसमें अतिशय से काफी भक्तों की भावना ही पूर्ण होती है व संकटो का चोट लग रही है. अधिकांश शांति धारा पुण्यार्जक के बाहरी समर्थकों को ही प्राप्त हो रहा है
छोटे मंदिर जी में मूलनायक श्री सुपार्श्वनाथ भगवान जी की प्रतिमा काफी प्राचीन है। किसी भी प्रकार की प्राचीनता का प्रमाण नहीं लिखा जाना काफी कठिन है लेकिन यह स्वयं सिद्ध है कि प्रतिमा अतिप्राचीन है। ईस्टजो द्वारा बताया गया है कि इस मंदिर में प्राचीन काल में रात में देव दर्शन करने आते थे, घुंघुरूओ की आहट को बाहर तक दिखाया गया था और सफाई करने वाले मंदिर के बागवान (माली) को 1 कलदार नदी चांदी का वेदी पर दर्शन हुआ था। सर्प के टुकड़े पर वेदी के पास बैठकर जाप करने से ही विष दूर हो जाता था।
बड़े मंदिर श्री अजीतनाथाय जिनालय का भव्य ग्राहित मुनि पुंगव सुधासागर महामुनिराज के द्वारा हुआ था जो जिनालय पूर्ण हो रहा है।
दोनों का प्रबंधन एक ही जगह से एक ही कामेठी किया जाता है। समाज में 40 परिवार में चित्रा सरावगी, अग्रवाल, बघेरवाल सभी शामिल हैं। इनमे किसी भी प्रकार का प्रमुखता व पंथवाद नहीं है। समाज का युवा वर्ग काफी ऊर्जावान और धार्मिक है। यहां महिला मंडल की वर्तमान अध्यक्ष श्री मति अनिता जैन भी हैं। समाज के समस्त कार्याध्यक्ष श्री रतन लाल जी जैन उनके साथ श्री देवलाल जी जैन, अरुण जी जैन, त्रिलोक जी जैन, सुरेश जी जैन, ललित जी कासलीवाल का सहयोग करते हुए समाज के सभी वर्ग यथोचित सहयोग करते हैं। यहां सुपार्श्वनाथ बाल मंडल के अध्यक्ष श्री प्रफुल्ल जी जैन हैं। यह बालक मंडल काफी धार्मिक है। इस बालक मंडल के सभी 13 सदस्य बहुत ही सकारात्मक एवं प्रभावशाली हैं।
वर्ष में दशलक्षण पर्व, महावीर जयंती, अजितनाथ जयंती बड़े ही धूम धाम से उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। दशलक्षण पर्व पर दस दिन तक अखण्ड भक्ताम्बर पाठ होता है जो पूर्णिमा को भक्ताम्बर मण्डल विधान के साथ समापन होता है। अजितनाथ जयंती पर भी मंडल विधान, श्री जी की जयंती माघ शुदी दशमी के दिन हर वर्ष मनाई जाती है। तीनो ही कार्यक्रमों में दोनों ग्राम बांसी डुगारी का पूरा समाज सभी कार्यक्रम और सामूहिक भोज में शामिल होता है।
महिला मंडल द्वारा समय-समय पर अनेक कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं। महासमिति द्वारा संचालित सभी कार्यक्रमों में महिला मंडल अपनी पूर्ण भागीदारी निभाती हैं और प्रदेश स्तर पर आयोजित होने वाले धार्मिक आयोजनों में विजेता महोत्सव में भाग लेने वालों को प्राप्त होती रहती है।
इसके साथ ही समाज के ढांचे व बालमंडल द्वारा सौभाग्य परिवार व सुपार्श्वनाथ मंडल के नाम से घर-घर प्रतिमा मंडल के सदस्य 1 घंटे का भक्तांबर पाठ किया जाता है।
अजितनाथ बाबा का एक भजन भी बना है भजन का नाम बांस में धाम बड़ा प्यारा है
पता | श्री 1008 सुपार्श्वनाथ दिगम्बर जैन छोटा मंदिर, बांसी, तहसील-नैनवा, जिला-बूंदी (राजस्थान) |
संपर्क | 8432728210 |
ईमेल | jaindharam@gmail.com |
रहने की / आवास सुविधा | धर्मशाला |
राज्य | राजस्थान |
निकटतम रेलवे स्टेशन | इंदरगढ़ रेलवे स्टेशन |
निकटतम हवाई अड्डा | जयपुर हवाई अड्डा |
दिल्ली से मंदिर की दूरी सड़क द्वारा | 405 Km |
आगरा से मंदिर की दूरी सड़क द्वारा | 336 Km |
जयपुर से मंदिर की दूरी सड़क द्वारा | 227 Km |
Address | Shri 1008 Suparshvnath Digamber Jain Chota Mandir, Bansi, Tehsil-Nainwa, District - Bundi (Rajasthan) |
Contact No | 8432728210 |
jaindharam@gmail.com | |
Accommodation/accommodation/facility | Hospice |
State | Rajasthan |
Nearest Railway Station | Indergarh Railway Station |
Nearest Airport | Jaipur Airport |
Distance of Temple from Delhi by road | 405 Km |
Distance of Temple from Agra by road | 336 Km |
Distance of Temple from Jaipur by road | 227 Km |