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Shri Parshvanath Stuti / श्री पाश्र्वनाथ स्तुति

कविश्री ‘पंकज’

तुम से लागी लगन, ले लो अपनी शरण, पारस प्यारा |
मेटो-मेटो जी संकट हमारा ||

निश-दिन तुमको जपूँ, पर से नेहा तजूँ |
जीवन सारा, तेरे चरणों में बीते हमारा ||
मेटो-मेटो जी संकट हमारा ||

अश्वसेन के राज-दुलारे, वामादेवी के सुत प्राण-प्यारे |
सब से नेहा तोड़ा जग से मुँह को मोड़ा, संयम धारा ||
मेटो-मेटो जी संकट हमारा ||

इन्द्र और धरणेन्द्र भी आये, देवी पद्मावती मंगल गाये |
आशा पूरो सदा, दु:ख नहीं पावे कदा, सेवक थारा ||
मेटो-मेटो जी संकट हमारा ||

जग के दु:ख की तो परवा नहीं है,स्वर्ग-सुख की भी चाह नहीं है |
मेटो जामन-मरण, होवे ऐसा यतन, पारस प्यारा ||
मेटो-मेटो जी संकट हमारा ||

लाखों बार तुम्हें शीश नवाऊँ, जग के नाथ तुम्हें कैसे पाऊँ |
‘पंकज’ व्याकुल भया, दर्शन-बिन यह जिया, लागे खारा |
मेटो-मेटो जी संकट हमारा ||